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‘Out Sider’ Summary in Hindi for ISC Class 12

नीलम ‘मालती जोषी‘ द्वारा लिखित ‘आउट साइडर‘ कहानी की मुख्य पात्रा है। नीलम पैंतालीस वर्षीया एक अविवाहिता स्त्री है। पिता की आकस्मिक मृत्यु के उपरांत घर की सारी जिम्मेदारियाँ उसी ने उठाई। पर उसके बारे में उसकी अम्मा ने भी कभी कुछ नहीं सोचा। अब वह एक सरकारी अध्यापिका है। नीलम के परिवार में उसका बड़ा भाई सुदीप, उसकी पत्नी सुषमा, दूसरा भाई सुजीत, उसकी पत्नी अलका, छोटा भाई सुमीत, उसकी पत्नी नेहा, बहन पूनम और दामाद नरेष थे। अपने सबसे छोटे भाई सुमीत का विवाह कर नीलम सोचती है कि उसने सारे उत्तरदायित्व पूर्ण कर दिए। अब निष्चिन्त होकर जीवन यापन करेगी। लेकिन घर की आखिरी शादी में पूरा परिवार एकत्रित हुआ था। सुदीप कनाडा से आया था। अपने पूरे परिवार को एक साथ देख उसे बड़ा अच्छा लग रहा था। तभी अपने बड़े भाई सुदीप की बात पूरी करते हुए पूनम झट बोल उठती है “अब आपको भी सेटल हो जाना चाहिए।” ‘अब आपको भी शादी कर लेनी चाहिए। दामाद नरेष भी नीलम को समझाते हैं, पर नीलम यह कहकर कि ”मैं तुम लोगों की भावना समझती हूँ। पर घर बसाने की एक उम्र होती है।“- उनकी बचकानी बातों को टालने की कोषिष करती है। उसके सामने विवाह के प्रस्ताव रखे जाते हैं पर नीलम इंकार कर देती है। यद्यपि बहन पूनम उसे समझाती है कि “तुमने इस घर को लाख खून से सींचा हो, पर यह घर कभी तुम्हारा अपनी नहीं हो सकता। तुम यहाँ हमेषा आउटसाइडर ही रहोगी।” इतने पर भी नीलम इसी धोखे में रहती है कि परिवार के समस्त लोगों को उसकी कितनी चिंता है। वे सब उससे कितना स्नेह करते हैं। इसी प्रेम के कारण तो पूरा परिवार उसके भविष्य को लेकर चिंतित है। पन्द्रह दिन की छुट्टी के पष्चात् जब वह कॉलेज जाती है, प्रिंसिपल बताती है कि ”उसका ट्रांसफर ऑर्डर आया है। ट्रांसफर और प्रमोषन एक साथ। प्रिंसिपल बनकर जा रही हो।“ साथ ही उसे पता चलता है जगह दूर ‘बस्तर‘ है। कॉलेज भी नया है। मैडम भी उसे समझाती हैं “‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐‐अब तो सारी जवाबदारियाँ खत्म हो गई हैं और भगवान की दया से, यू आर ए फ्री बर्ड नाउ।“ लेकिन नीलम को लगता है कि उसके भाई उससे बहुत प्रेम करते हैं और उसे इतनी दूर नहीं जाने देंगे। इस धोखे में वह अपने तीसरी बार आए प्रमोषन को भी रिफ्यूज करने की सोच लेती है। घर वापस आते समय नीलम सबके लिए सबकी पसंद का सामान लाती है लेकिन जैसे ही घर में कदम रखती है उसके पाँव दरवाजे पर ही ठिठक जाते हैं। अलका कह रही थी,- “आप तो लकी है जिज्जी! फुर्र से उड़ जाएँगी। ये नेहा भी चार दिन बाद छोटू के साथ बैंगलोर चली जाएगी। उम्र कैद तो हम लिखवाकर लायें हैं, सो भुगतेंगे।“ “क्या करें भाई, हमने तो बहुत कोशिश की, पर वे टस से मस नहीं हुई। अब यही समझ लो कि वे हमारी ननद नहीं, सास हैं। और उन्हें साथ ही रहना है।“
जैसे ही नीलम के कानों में ये शब्द पड़ते हैं, वह काठ-सी हो जाती है। आज तक वह इसी धोखे में जी रही थी कि उसका परिवार उससे इतना स्नेह करता है कि उसके बिना रह नहीं पायेगा। लेकिन आज उसे अहसास होता है कि उसका सोचना कितना गलत था। अन्ततः खाने की मेज पर वह सबको अपने प्रमोषन की बात बताती है, साथ ही अपने ट्रांसफर की भी। अब उसे समझ आ गया था कि उसकी हैसियत घर में अभी से फालतू सामान की-सी हो गई है।

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